व्यक्ति के पिछले जन्मों के कर्म व्यक्ति की आत्मा के वासना संसार में जुडे रहते हैं और इस जन्म में भी समय पर विशेष के साथ जुडे़ होने वाले व्यवहार का आधार ही कर्म भी बनते हैं। इसमें इस जन्म के कर्म जोड़ भी सकते हैं इस जन्म के जो कर्म हैं उन्हें जुड़ने से रोक भी सकतें हैं।
जब जीवन प्राप्त हुआ है तो जीवन में कई प्रकार के संयोग-वियोग बनते हैं, हर संयोग किसी कार्य का निमित बनता है। व्यक्ति सम भाव से जीवन जीना प्रारम्भ कर देता है तथा समष्टि भाव आ जाता है तो व्यक्ति स्वतंत्र हो जाता है और वही व्यक्ति सन्यासी बनता है। चक्र से मुक्त होना, जीवन से भागना नहीं है। कर्तव्य भाव से कर्म से ही सन्यास प्राप्त हो सकता है।
इसीलिये हजारों वर्षो पूर्व महर्षि पाराशर ने सन्यास, सन्यासी और जीवन के दस नियम बताये। नियम व्यवहार में लाने योग्य नियम है और जो व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है। सन्यासी बनकर जीवन का आनन्द प्राप्त कर सकता है। वह छोटे गांव में रहे अथवा बड़े शहर में वह नौकरी पेशा हो अथवा व्यवसायी, वह स्त्री अथवा पुरूष इसमें कोई अंतर नहीं पड़ता। महर्षि पाराशर कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति सन्यासी बन सकता है।
सार्व भौमिक सत्य, ज्ञान कर्म और धन का प्रवाह, ज्ञान कर्म और धन की दशा, फल की प्राप्ति, नम्रता और शौर्य, प्रभावशाली नेतृत्व, स्त्री शक्ति का जागरण, सरस्वती और शक्ति, संगठन, आत्मीयता सन्यासी ही गृहस्थ रूप में समाज में रहकर उपरोक्त सिद्धांतो का निर्वहन कर सकता है। भी साधक होता है और गृहस्थ साधक भी संन्यासी होता है। साधना का तात्पर्य ही जीवन में निश्चित सिद्धांत अपनाकर भौतिक और आध्यात्मिक पूर्णता के साथ ही साथ सदैव कर्मशील रहना है।
यह निश्चित सत्य है कि चाहें त्यागी सन्यासी भी हो, उसको भी जीवन में लक्ष्मी की निश्चित आवश्यकता है और बिना लक्ष्मी से गृहस्थी तो चल नहीं सकती यह सन्यास महोत्सव संकल्प का पर्व है साधक द्वारा संकल्प धारण करने से जीवन में निरन्तर रहते हुये धन वैभव, ऐश्वर्य, आरोग्यता, हर्ष, उल्लास, आनन्द, पूर्णता प्र्राप्ति हेतु जीवन में सुस्थितियां निर्मित करने के लिये शक्ति का भाव होना परम-आवश्यक है।
आपको शिव स्वरूप गुरूत्व शक्ति से युक्त करने हेतु ऐसे कार्तिक पूर्णिमा सन्यास महोत्सव पर अक्षय सद्गुरू शक्ति चैतन्य राजराजेश्वरी पूर्णमदः दीक्षा अवश्य ग्रहण करें। जिससे की जीवन में सर्व लक्ष्मी शक्ति से सुशोभीत हो सकेंगे और अपने सद्गुरूदेवजी की सर्व शक्तियों को रोम-रोम में आपूरित कर सकेंगे।
पूजन हेतु हेतुपंच पात्र, शुद्ध जल, गंगा जल, मौली, चंदन, कुंकुम, हल्दी पुष्प, अगरबती, दीपक, अक्षत, सुपारी, जनेउ, फल, मिष्ठान।।
स्नान आदि से निवृत होकर पीली धोती धारण कर पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पीले आसन पर बैंठे। के बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर स्टील थाली रखें। श्रीं निखिलं नमः। मंत्र जप करते हुये कुंकुम से थाली के मध्य में ओमकार लिखे, ओमकार के ऊपर पुष्प बिछायें, सद्गुरू निखिल विग्रह को गंगा जल से, फिर शुद्ध जल से स्नान करायें, साफ वस्त्र में पोंछ कर मौली धागा बांधे और विग्रह को थाली में ओमकार के ऊपर करे। विग्रह के सामने हल्दी, कुंकुम मिश्रित चावल की ढ़ेरी के ऊपर राज राजेश्वरी जीवट का स्थापन करें। माला को थाली के अन्दर विग्रह और जीवट के चारों ओर गोलाकार में रखें। , जलायें। करें-
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र पाठ करते हुये दायें हाथ से पूरे शरीर पर छिड़कें।
से अपने कपाल पर ऊँ श्रीं निखिलं नमः लिखे और अक्षत व पुष्प आसन के नीचे रखें।
2 सुपारी में मौली धागा बांधकर कुंकुम से तिलक करें और गणपतीर गणपती जगदमcters स्बा स्वरूप में विग्रह के दायें तरफ सरफ स्थापन करें।।
मंत्र से दोनो सुपारी को कुंकुम से तिलक करें, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। हाथ में जल लेकर संकल्प करें-
हाथ में पुष्प् लेकर सद्गुरू का आवाह्न करते हुये विग्रह पर अर्पित करें--
निजभावयुक्तं आनन्दमानन्दकरं प्रसन्नम्।
भवरोगवैद्यं श्रीमद्गुरूंनित्यमहं नमामि।।
परिपूर्णाय सम्पूर्णाय नमो नमः।
स्वरूपाय पूर्णानन्दाय ते नमः।।
ह्रीं गुरूवे नमः। पादासनं समर्पयामी पुष्प् अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः।
-उपवस्त्रं समर्पयामी। (मौली का 2 धागा अर्पित करें)
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। अर्पित करें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। दिखायें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी। दिखायें
ह्रीं गुरूवे नमः। समर्पयामी।
(2 जल अर्पित )
भोग अike करपित करें उसके बाद हाथ में बेल पत्ता, पुष्प्, फल और अक्षत लेकर निम्न मंत्र पाठ करते हुये विगcters में विग fout में अर्पित करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें करें कina-
इसके बाद माला को दाएं हाथ में लेकर निम्न मंत्र पढ़ते हुये आज्ञा चक्र, दोनो और हृदय में सुमेरू को को fout
Hoe u uw geld kunt verdienen U kunt uw geld verdienen met het betalen van geld (in het Engels) 1 keer per week) 5 keer per week ्रहण युक्त XNUMX dagen per week Hoe werkt het?
पुष्प लेकर निम्न मंत्र का पाठ कर और अर्पण करें।
प्रणाम करें। पूर्ण होने के बाद विग्रह और गुटिका को पूजा स्थान में रहने दीजिये और माला को नित्य पूजन के समय में धारण करें।
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