संस्कार का वास्तविक अर्थ है- किसी के के ike को सुधार कर नूतन नूतन व सर्वश्रेष्ठमय स्वict प्दoto प्रदान करना।।। सुध के के echt जिस कार्य को व्यक्ति प्रति दिन करता है, उसी का वह अभ्यस्त हो जाता है और फिर वहीर वही उसकrouw उसका बिाह्य संस्काuiken है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
Hoe u uw geld kunt verdienen Hoe u uw geld kunt verdienen Hoe u uw geld kunt verdienen Er zijn verschillende manieren om geld te verdienen. Hoe werkt het?
आज समाज में जो समस्यायें हैं, उनके निवारण का एक मात्र उपाय है, उत्तम संस्कारों का परिपालन करना। भारतीय संस्कृति के अनुरूप जब तक जनमानस अपने चरित्र को नहीं निखारेगा जब तक घृणा योग्य समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो हो सकेगा।
इसलिये प्रत्येक मानव का कर्तव्य है कि पहले स्वयं सुसंस्कारित बनें और फिर आने वाली पीढ़ी को इस तरह संस्कारित करें कि हमारी पुरातन संस्कृति योग, प्रणाम, पूजा, आराधना, साधना, उत्तम गुण, सहनशीलता, धैर्य, संयम, आदर-सत्कार, जीव- जन्तु के प्रति सद्भावना से परिपूike हो तभी भ भारत का गौरव सदा सुरक्षित रह ह सकेगा।
यदि हम प्रारम्भ से ही अपने बालकों के दैनिक क्रियाओं, खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार, आचरण, स्वभाव आदि बातों पर विशेष ध्यान दे तो वे संस्कारित हो सकते हैं। माता-पिता को चाहिये कि वे अपने ब बालकों में ऐसे संस्कार डालें जो आगे चलकर उन्हें सभी सद्गुणों से युकct
विडम्बना है कि भारतीय परिवारों में पाश्चात्य सभ्यता का तेजी से अनुसरण हो रहा है। अनुशासन हीनता निरन्तर बढ़ती जा रही है, सात्विक प्रवृतियों का अभाव हो रहा है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। Hoe u uw geld kunt verdienen जिसका शाब्दिक ज्ञान के अलावा आत्मिक ज्ञान, संस्कार, संस्कृति से कोई वास्ता ही है है।।।।।।।।।।।।।।।
अंग्रेजी शिक्षा-पद्धति का इतना अधिक पोषण हो रहा है जिसके कारण भारतीय हिन्दी संस्कृति के दिन दिनपct आज की तथाकथित सभ्यता से सरोबार यह नयी पीढ़ी आधुनिकीकरण के नाम पर कुसंस्कारो को अपनाकर न केवल स्वयं का ही अहित कर रहे है अपितु परिवार, समाज एवं राष्ट्र को भी दिग्भ्रमित कर पतन की ओर ले जा रही है। आज की युवा पीढ़ी अपनी विवेक विवेक शक्ति व धैर्य खो बैठी हैं हैं हैं, नकारात्मक विचारधारा से हैं हैं हैं की की बात बतलाने पर उसे ूढि़वants ूढि़वurf ूढि़व woord ूढि़वth का पहना पहना पहनाurf देते हैंनक।।।। echt आज सामाजिक हिंसा, भेद-भाव, ईर्ष्या की वृत्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।।।।।।।।।।।।।।।।।। अभिभावकों के साथ ही शैक्षणिक, सामाजिक तथा साहित्यिक व स्वयं संस्थाओं तथा स्वयं के चितंन को नई दिशा देनी होगी और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने नैतिक दायित्व का पालना करना होगा।
बच्चों को उत्तम संस्काा: इसीलिये हमारे शास्त्रों ने पिता से अधिक माता को महत्व दिया है हम जो प्रार्थना करते हैं, उसमें सबसे पहले माता का ही नाम आता है-त्वमेव माता च पिता त्वमेव—-।
इसी तरह श्रुति ने भी मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव, कहकर माता को ही प्रथम स्थमान दिया है।।।।।।।।।।।।। यदि मातायें संस्कारवान् होंगी तो उनकी संत संतानें भी संस्कारवान् ही।।।।।।।।।।।।।।
Hoe u uw geld kunt verdienen एक दिन पिंजरा खुला रह गया, अवसर देखकर एक तोता साधु के आश्रम में चला गया औ nat लगा। इसलिये माता-पिता को सदैव यह ध्यान रखना चाहिये कि उनके बच्चों का सच्चे अर्थं में मित्र है है? साथ ही यह भी निरीक्षण करते रहना चाहिये कि मित्र उनके साथ कोई गलत कार्य तो नहीं कर ike।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
माता-पिता कुछ समय बच्चों के साथ बितायें उनसे मित्रवत व्यवहार करें और उनकी भावनाओं को समझकर परिवर्तन करने का प्रयास करना उचित होगा। Hoe werkt het? समय-समय पर विद्यालय या कालेज में जाकर बालकों की प्रगति के बारे में उनके अध्यापकों से बातचीत करनी चाहिये।। बच्चों के आचरण, चाल-चलन, खान-पान, रहन-आदि आदि पर माताओं को विशेष ध्यान रखना चाहिये। एक संस्कारित पुत्र-पुतanning, श्रेष्ठ गृहस्थ बनाने में माताओं का सबसे अधिक योगदान होता है।।।।।।।।।।
यह भी देखा जाता है कि प्रत्येक दूसरी पीढी में संस संस्कारों में परिवike आ जाता है। दादा-दादी, पुत्र-पुतanning, पौत्र एवं पौत्रवधू इन पीढि़यों में हम यह परिवike अपने परिवार देखने को को मिलता है।।।।।। पीढि़यों पीढि़यों पौत fout जो संस्कार दादा-दादी ने अपने पुत्रें को दिये दिये, वे संस्कार र पोते पोते आदि में नही नही दिखायी देते हैं।।।।।।।।।।।।। पाश्चात्य संस्कृति इस प्रकार प्रभावी है कि भारतीय सभ्यता अस्त-व्यस्त हो गयी है।।।।।।।।।।।।।।। Hoe u uw geld kunt verdienen
आज प्रायः प्रत्येक मनुष्य धनोपार्जन में इतना व्यस्त है उसको उसको अपने बच्चे क्या कर रहे है? Hoe werkt het? यह जानने के लिये समय ही नहीं है, जरा सोचिये, परिवार के बच्चे ही अगर संस्कारित ना होंगे तो आपके द्वारा एकत्रित धन किस काम का है कुसंस्कारी संतान तो धन-दौलत के साथ कुल का भी नाश कर देता है। श्रेष्ठ गुणों से युक्त संतान ही तो तो सच्ची यश, कीर्ति, प्रतिष्ठा, धन मूल मूल स्वरूप हैं।।।।।।।।।। अपने व्यस्तम जीवन प्रणाली में कुछ समय परिवार को सँवारने के लिये अवश्य दें।।।।।।।।।।।।।।
किताबी ज्ञान से तो सिपफऱ् अर्थोंपा: जीवन को श्रेष्ठता से व्यतीत करने कि लिये उत उत्तम संस्कार की आवश्यकता है।।।।।।।।।।। Hoe u uw geld kunt verdienen आपकी संतान अपने जीवन में में उच्च शिक्षा, सुसंस्कार, सद्बुद्धि और मर्यादित जीवन में सद्गुरूमय चेतना को कोct आत आशी acht
आपकी माँ
श्रीमाली
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