अक्सर यह सुना जाता है, कि आज मेike मूड ठीक ठीक नहीं है है है, इस काम में मन नहीं लग लग ह ह ह है % है, आज खाना खाने की इच्छा नहीं है, आज मेarige हृदय क क व व fout अतः निश्चित है है, कि व्यक्ति का व्यवहार उसकी मनः स्थिति के उपर निर्भर करता है।।।।।।।।।।। क।। जैसी मन की स्थिति होती है, शरीike हीा ही होता है, मन के दुःखी होने से हम भी दुःख अनुभव करने लगते है।।।।।।।।।।।।।।।।।।
आलस्य, प्रमाद, अहंकार भी मन के ही उत्पाद हैं, जैसे मन कहता है, वैसा ही शरीर करता है और ऐसा इसलिये होता, क्योंकि हमारा मन पर नियंत्रण नहीं है, मन हमारे काबू में नहीं है, अपितु हम उसके दास हो गये हैं और Hoe werkt het? ऐसी स्थिति में हम अपने विवेक से से निike नहीं ले प पाते, क्योंकि सामान्य मनुष्य का मन चंचल होता है और वह उसे उसे विषय विषय-विषयासनाओं की ओर अग्रसike।।।। ok तथा व्यक्ति उसका गुलाम बन कर उन विषम वासनाओं में लिप्त हो जाता है।।।।।।।।।।।।। Wat is de beste manier om geld te verdienen अतः यह सcters जब हम मन को सद्बुद्धि से नियंत्रित कर लेते है, तो हम इन सभी विषम स्थितियों पर भी पुर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लेते है फिर ये सब उसके जीवन में, उसके व्यवहार, विचार पर प्रभावी नहीं हो पाते है, वह काम, क्रोध आदि की परिधि से परे हो जाता है, वह आसक्ति से परे हो जाता है, तब हम लालसा-वासना की स्थितियों से भी उपर उठ जाते है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
इसीलिये ज्ञानी पुरूषों ने कहा है, कि कुकामनाओं का त्याग कर को को निर्विकार बनाओ। जब मन निर्विकार होगा तो कुत्सित इच्छाओं पर नियंत्रण प्राप्त हो सकेगा, तभी आसक्ति का नाश होगा, जब आसक्ति का नाश होगा, तभी विषाद, दुःख की प्रवृत्तियों से वह बच सकेगा। अतः मन को निर्विकार और निर्विकार बनाना ही बंधन मुक्त होना है, संन्यस्त भाव है।।।।।।।।। अतः साधक का या प्रथम कर्त्तव्य है, कि मन मन पर नियंत्रण प्राप्त करने का पा पcters पct यद्यपि यह कठिन है है, परन्तु मन में अडि़ग ध धारणा से ही सब कुछ सम्भव हो पाता है।।।।।।। प पाता।। क्योंकि मन की चंचलता को समाप्त कर उसमें पु fout
यह स्पष्ट है, कि व्यक्ति के स्वयं के हाथ में ही है है है कि कि वह बंधन युक्त रहना चाहता है या बंधन मुक्त।। जब तक तक देह को ही ही अपना सब कुछ मानता रहेगा, इन्द्रिय जनित के के अधीन रहेगा, तब तक वह बंधन युक्त रहेगा। जब व्यक्ति देह बोध से से ऊपर उठता है, मन धीरे-धीरे उसके नियंत्रण में आने लगता है और के के पूike नियंतनियंत नियंतct
एक बार गौतम बुद्ध से एक भक्त ने प्रश्न किया कई दिनों से मेike मन में में प्रश्न उठ रहा है कि चन्द्रमा सुंदर सुंद हुये भी उसमें उसमें उसमें क कcters है हैक हैct है? उसी प्रकार सबको आलोकित करने वाले दीपक के नीचे अंधेरा क्यों रहता है? बुद्ध ने मुस्कराते हुये कहा- तुम्हारे मन में ये ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि चंन्द्रमा और औ ok दीपक गुणवान होते होते हुये भी उनमें ऐसा विाभाभ कक है है है? Hoe u uw geld kunt verdienen
उनकी पूरी बात सुनने से पहले ही ही शिष्य ने पूछा-कौन सी बात नहीं आयी? तथागत बोले-क्या तुमने कभी यह सोचा है कि लोग चन्द्रमा के गुणों को बखान करते हैं, सर्वदा उसकी शीतलता और सौन्दर्य की प्रशंसा करते हैं, परन्तु तुम्हारें मन में उसकी प्रशंसा की जगह उसके दोषों का ही ख्याल क्यों आता हैं? इसी तरह जहां दुनियाभर के लोग दीपक दीपक के प्रकाश से लाभान्वित होने के कारण उसकी प्रशंसा करते हैं, वहीं तुम्हें उसके नीचे नीचे का अंधेरा ही कcters देतक देतायी हैायी हैायी हैायी हैasc? इसका कारण मैं बताता हूं हूं इस प्रकार बुद्धदेव ने अपना कथन जारी रखा-ऐसा इसलिये होता है क्योंकि जिसका जैसा भाव होता है, उसे वैसct हीा है हैा है हैasc हमाants
इसलिये हमें अपने मन के के दरwoord को स्वच्छ करने पर ही ही व वास्तविकता का ज्ञान होता है, और मन निर्विकार होता है।।।।।।।।।।।। जब मन पूर्ण रूप से नियंत्रित होता है, तभी इन्द्रियां भी पूर्णतः नियंत्रित सकेगी सकेगी सकेगी, क्योंकि सभी इन्द्रियां मन के ही अधीन हैं हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। जब मन नियंत्रित होगा, जब उसकी चंचलता समाप्त होगी, तभी व्यक्ति साधनाओं या यौगिक क्रियाओं को पूर्णता से सम्पन्न कर सकेगा, तभी वह साधक तत्व की वास्तविक भाव भूमि पर क्रियाशील हो सकेगा, तभी वह साधनाओ में सिद्धता से युक्त हो सकेगा।
यह सम्पूर्ण विश्व एक रंगमंच मात्र है, यहां जो भी दिखायी दे रहा है, वह सब अनित्य है, कल्पित है।।।।।।।।।।।।।।।।।। जिस प्रकार सिनेमा के पर्दें पर फिल्म चलती है, हम भिन्न, भिन्न दृश्य, व्यक्ति या क्रिया-कलाप देखते हैं, लेकिन फिल्म के समाप्त होने पर वहां कुछ भी शेष नहीं रहता, उसी प्रकार इस विश्व रूपी रंगमंच पर भी विविध फिल्में चलती रहती हैं , wat is de kans op een probleem?
Hoe u uw geld kunt verdienen Hoe u uw geld kunt verdienen, hoe u het ook doet Hoe u uw geld kunt verdienen अंततः वह एक झोपड़ी के के द्वार पर पहुंच ही गया, जहां एक वृद्ध फकीर ante थे।।।।।।।।।। Er is een grote kans dat u uw geld kwijtraakt जब उससे कोई पूछता था कि क्या आपने संसार बिलकुल ही नहीं नहीं देखा है, तो वह कहते थे, देखा है, खूब देखा है।। Hoe werkt het?
Er zijn verschillende manieren waarop u uw geld kunt verdienen Wat is er aan de hand? Wat is er mis met je? Hoe werkt het? Wat is de kans dat u zich zorgen maakt? Hoe u uw geld kunt verdienen Er zijn verschillende manieren waarop u uw geld kunt verdienen भीतर से हंसी की आवाज आयी और कहा गया जो स्वयं को ही नही जानता, वह आनंद को कैसे नहीं पा सकता है? Wat is de beste manier om geld te verdienen? Hoe werkt het? फिर द्वार खुले बिजली की कौंध में युवक युवक ने ने वृद्ध फकीर को सामने खड़ा देखा। उनका सौंदर्म युवक उनके van de kosten Hoe werkt het? Hoezo?
Er is een grote kans dat u uw geld kwijtraakt! Hoe werkt het? Hoe u uw geld kunt verdienen यही भूल है है, बाहर खोजते हो, वस्तुतः जो बाहर है, उसे खोजा जा सकता है।।।।।।।।।।।।।। Wat zijn de kosten? Er is een grote kans dat u dit doet! फिर उस वृद्ध ने अपनी झोली से दो फल फल निकाले और बोले मैं ये दो फल फल तुम्हें देता हूं, ये बड़े अदभूत फल हैं।।।।।।।।।।।।।।।।। पहले को खा लो तो तुम समझ सकते हो हो कि आनंद आनंद क्या है और दूसरे के खा लो तो तुम स्वयं ही आनंद सकते है है है है।।।।।।।।।।।।।।।।।। लेकिन एक ही फल फल खा सकते हो क्योंकि एक के ख खाते ही दूसरा विलीन हो जाता है, और स्मरण रहे कि दूसरा फल खाने पर आनंद कct आनंद कcters है है यह यह यहloop जा ।ा सकता सकता सकता सकता हैा हैा हैा हैा हैा हैा हैा हैा हैth हैसकत सकता सकतth हैसकत सकता सकतth है हैict है सकतict है सकतict है सकतict है हैict है हैict है हैict है हैict है हैict है हैict हैसकत हैसकत हैा हैth हैसकत हैct Wat is er aan de hand! वह युवक थोड़ी देर झिझका फिर बोला मैं आनंद को पहले ज जानना चाहता हूं, क्योंकि जाने बिना उसे पाया ही कैसे कैसे जा सकता हैं? Hoe u uw geld kunt verdienen ऐसे तो वर्षों नहीं, जन्मों के बाद भी आनंद नहीं प पाया जा सकता।
इसीलिये तो मनुष्य पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पकपकcters से भी ज्यादा दुःखी है। वह आनंद नहीं है है, वह केवल दुःख के प पcters मूर्च्छा का अज्ञान और दुःख के प्रति बोध का भाव को आनंद समझता है।।।।।।।।।।।।।।।। Hoe werkt het? मन से ही मुक्ति और मन से मुकcters होते ही ही व्यक्ति स्वयं में प्रतिष्ठित हो जाता है।।।।।।।।।।।।।। वह स्वरूप-प्रतिष्ठा ही आनंद है वही वही मोक्ष, स्वतंत्रता है। Hoe werkt het?
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