चाहे पुरूष हो या स्त्री, कैसे बन जाता है? ऐसे कौनसे गुण हैं? जिसके कारण वह अन्य की अपेक्षाकृत ऊपर उठ जाता है, यह ध्यान देना आवश्यक है कि व्यक्ति अपने रूप से बल या शक्ति से महान नही होता। महान इस कारण से है कि वह जो कार्य करता है जो बात कहता है तो उसके व्यक्तित्व का प्रभाव लाखों-करोंड़ों लोगों पर पड़ता है। वह शक्ति है जिसे आत्मशक्ति कहते हैं। जब यह व्यक्ति के शरीर में नहीं होती तो उस वजह से वह एक साधारण व्यक्ति का जीवन जीता रहता है जबकि यदि उसकी आत्मशक्ति जाग्रत हो जाये तो भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्रें में अपार सफलता प्राप्त हो सकती है।
ऐसी कोई साधना नहीं होती जिसमें वह सफलता न प्राप्त कर सके या उसे देवी देवताओं के साक्षात् दर्शन न हो ऐसा हो नहीं सकता, परन्तु ऐसा हो रहा है जिसका मूल कारण है, 'जब तक परम तत्व का ज्ञान नहीं हो जाता, परम तत्व को मन ग्रहण नहीं कर लेता, तब तक पूर्णता नहीं आ सकती' और जब तक पूर्णता नहीं आ सकती तब तक संसार में विषाद, संताप आपको घेरे रहेंगे और जैसे ही उस परम तत्व आत्म तत्व का ज्ञान होने लग जाता है ऐसी ही स्थिति बनती है मानो अब सूर्य उदय हो रहा है, जिसमें शीतलता के साथ-साथ ऊष्णता, लालिमा एवं शान्ति भी है अर्थात् शीतलता एवं ऊष्णता दोनो चीजों को ही देता है।
सब सर्व सम्मोहन की क्रिया के माध्यम से संभव हो पाता है और इस सर्व सम्मोहन की शक्ति को आत्मसात करने के लिये गुरू से आपूरित होना आवश्यक है। की दिव्य क्रिया का भाव चितंन दीक्षा ही है। सम्मोहन दीक्षा के माध्यम से साधक सांसारिक पदार्थों को अपने अनुकूल करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है और साधनाओं में निश्चिंत रूप से पूर्णता का भाव आता है।
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