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चौकी, लाल वस्त्र, अगरबत्ती, दीपक, पुष्प, फल, कलश, मिठाई, पंचामृत, नारियल, वस्त्र, दुike यंतct
बाद आप पूजन आरम्भ करे। पहले तीन बार आचमन करके हाथ धो लें।
पवित्रीकike
अपवित्रः पवित्रे वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाहृाभ्यन्तरः शुचिः।।
मंत्र को पढ़कर अपने ऊपर तथा पूजन सामग्री पर भी जल छिड़क कर पवित्र कर ले। दाहिनी ओर धूप और दीप जला लें। की कुंकुंम और अक्षत से पूजन करें।
Goed
अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।
अमतापिधानमसि स्वाहा।
सत्यं यशः श्रीर्मयि श्रीः श्रयतां स्वाहा।
बन्धन
हाथ में चावल लेकर दाहिने हाथ से चारों दिशाओं में तथा ऊपर व नीचे निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए छिड़कें।
अपसर्पन्तु ते भूताः ये भूताः भूमि संस्थिताः।
भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया।।
भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम्।
पूजाकर्म समारभे।।
Ja
ऊँ विष्णु र्विष्णु र्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुike विष्णेराज्ञया प्रवike अदcters अद्य श्य श zeven ।्ी द्ी द्ी द्वीपे दcters द्वीपे दcters द्वीपे ।ct भारतवर्षे (अपना गांव, जिला का नाम उच्चारण करें) संवत् 2079 आश्विन मासि नवरात्रि समये शुक्ल पक्षे प्रतिपदा तिथौ अमुक बासरे (वार का उच्चारण करें), निखिल गोत्रोत्पन्न, अमुकदेव शर्मा (अपना नाम उच्चारण करें) अहम, मम सपरिवारस्य तंत्रबाधादि सर्वबाधा निवारणार्थं, धर्म अर्थ काम मोक्ष चतुर्बिध पुरूषार्थ सिध्यर्थं, शृति-स्मृति पुराणोक्त फल प्राप्त्यर्थं, अभीष्ट सिध्यर्थं, श्री गुरू कुलदेवता इष्टदेवता प्रीत्यर्थं, सकल सिद्धि प्राप्ति निमितं, सुख, सौभाग्य, धन, धान्य प्राप्यते, गणपति पूजनं, दुर्गा पूजनं अदय नवरात्री प्रथम दिवसे घटस्थापन कर्माहम करिष्ये।
भूमि में छोड़ दें।
पूजन
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ऊँ खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं, प्रस्यन्दन्मद गन्धलुब्ध मधुप व्यालोल गण्थलम्थलम् ।।्थलम् गणcters
विदारितारिरूधिरैः सिन्दूर शोभाकरं, वन्दे शैलसुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्।।
गणपते इह आगच्छ इह तिष्ठ स्थिरो भव।
के लिये एक पुष्प आसन दें।
गणपतये नमः स्नानं समर्पयामि वस्त्रं समर्पयामि नमः।
, , समर्पयामि नमः।।
निवेदयामि नमः।।
हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें-
गजाननं भूत गणाधिसेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। शोक विनाशकारकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
पूजन
ध्यान करें
र्ब्रह्मा गुरू र्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।
साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
का पंचोपचार से श्रद्धा पूर्वक पूजन सम्पन्न करें।
स्थापन
इसके बाद कुंकुम से रंगे हुये चावलों से अपनी बायीं और भूमि पर 'स्वास्तिक' बना कर उसके ऊपर एक कलश में जल भर कर स्थापित करें, कलश के चारों ओर चार तिलक लगावें। नारियल रख दें। तथा पुष्प कलश के ऊपर चढ़ा दें। फिर दोनों हाथ जोड़ कर वरूण देवता का आवाहन करें-
पाशभृत् सौम्यः प्रतीच्यां मकराश्रयः।
देवो जलराश्याधिको महान्।।
दुर्गा चित्र के सामने एक प्लेट पर दुर्गा यंत्र को स्थापित करें, उसके चारों ओर नौ 'चिरमी के दाने' भी स्थापित करें, उसके समीप ही सरसों की ढेरी पर वैदूर्य को स्थापित करें। यंत्र तथा वैदूर्य का कुंकुम, अक्षत तथा पुष्प से पूजन करें। भगवती का षोडशोपचार से पूजन करें-
Goed
स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः।
स्मृता मति मतीव शुभां ददासि।।
दुःख भयहारिणी का त्वदन्या।
सदार्द्रचित्ता।।
Goed
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आगच्छेह ! !।
समाप्येत तावत्त्वं सन्निधौ भव।।
Ja
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रत्न संयुक्तं नानामणिगणान्वितम्।
दिव्यं आसनं प्रतिगृह्यताम्।।
Goed
चरण धोने के लिये दो आचमनी जल जल चढ़ायें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें-
सर्व तीर्थेभ्यो मया प्रार्थनयाहृतम्।
पाद्यार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
Goed
आचमनी में जल लेकर उसमें अक्षत और पुष्प मिला लें और भगवती को चढ़ चढ़ाए-
सर्व रत्नानां त्वमनर्घ्यगुणान्विता।
! ik
Goed
बार आचमनी से जल चढ़ावें-
सुगंधेन सुरभि स्वादु शीतलम्।
! प्रतिगृह्यताम्।।
bad
से भगवती पर जल चढ़ावें-
समानीतैर्हमांभोरूहवासितैः।
कुरूष्व ! सुगन्धिमिः।।
स्नान
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दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम्।
मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
बाद शुद्ध जल से स्नान कराके वस्त्र से पोंछ दें।
Goed
वस्त्र भगवती पर चढ़ावें-
! समन्वितम्।
कृपां कृत्वा दुर्गे! ik
Goed
, चन्दन या केशर का तिलक करें-
गन्धाढयं सुमनोहरम्।
च ! प्रतिगृह्यताम्।।
intact
पर चावल चढ़ावें-
शुद्धान् मुक्तामणिसमन्वितान्।
! मे निर्मलां धियम्।।
Goed
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पाटली केतकानि च।
चंपक पुष्पाणि गृहाणेमानि शोभने!।।
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चतुर्विधं स्वादु रसैः षड्भिः समन्वितम्।
! मे ह्यचलां कुरू।।
आचमनी जल आचमन के लिए प्रदान करें तथा फल अर्पित
ik मुख शुद्धि के लिए आचमन कराएं।
और इलायची से युक्त सुस्वाद पान अर्पित करें।
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की पूर्णता के लिए कुछ द्रव्य भगवती को अर्पित करें।
तवाग्रे स्वर्णमीश्वरि!।
तेन मे प्रीता पूर्णान्कुरू मनोरथान्।।
अब निम्न मंत्र की 3 dagen per jaar -
आरती, गुरू आरती सम्पन्न करें।
में पुष्प लेकर क्षमा प्रार्थना करें-
क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।
मया ! तदस्तु मे।।
शिवे सवार्थसाधिके।
त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
इसके बाद पुष्प लेकर भगवती को पुष्प चढ़ावे, प्रणाम करके परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करे। के दिन यंत्र को घर में पूजा स्थान में स्थापित करे चिरमी दाने तथा वैदूर्य को जल प्रवाह कर दे माला से उक्त मंत्र का 1 माला नित्य जपते रहें।
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