भैरव उत्पति के बारे में कहा जाता है कि – दक्ष प्रजापति के यज्ञ में सती द्वारा अग्नि में देह विसर्जन की सूचना नारद द्वारा सुनकर भगवान शिव को तीव्र क्षोप उत्पन्न हुआ और उन्होंने बडे़ जोर से अपनी जटा पृथ्वी पर पटकी तभी एक भीषण दिव्य पुरूष उत्पन्न हुआ Wat is de kans op een probleem? Er zijn verschillende manieren waarop u uw geld kunt verdienen Hoe u uw geld kunt verdienen इसी कथ्य के अनुसार उन्हें भगवान शिव का साक्षात रूप या उनका पुत्र माना जाता है।।।।।।।।।
शास्त्रों के अनुसार भगवान भैरव की आराधना प्रत्येक कार्य के शुभारम्भ में की जाती है, ये रक्षा कारक देव है। दस महाविद्या साधना में भी सभी महreekt किसी भी दैवीय शक्ति स्थान पर भैरव की स्थापना अवश्य होती है है।।।।।।।। अनेक दिव्य आलौकिक चैतन्य दैवीय स्थल पर अलग से भैरव मंदिर वरव भैरव मूर्ति इसके प्रमाण है।।।।।।।।।।। कहा जाता है कि कि - ये भैरव आद्या शक्ति के द्वारपाल है, वे किसी दैवीय दैवीय स्थल के रक्षक गण हैं हैं।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं
जिनकी पूजा, उपासना उतनी ही आवश्यक है, जितनी कि उस दैवीय दैवीय शक्ति की। भैरव की विशेषता केवल रक्षा कारक देव अथवा शत्रु संहारक ही है है ये ये दुषcters दुष्ट स्त्रियां स्वतः ही भैरव साधक के मार्ग से हट जाती है।।।।।।।।।। भैरव साधक में ऐसा तेज होता है कि विकृत म मानसिकता वाले व्यक्ति उनके तेज को ही ही नहीं कर पाते।
कार्य सिद्धि प्रदाता बटुक भैरव दीक्षा एक ऐसी शक्ति का सृजन है है, जो जीवन आये आये किसी भी विपतct जिस प्रकार भगवान शिव पर आये विपत्तियों और उनके शत्रुओं के अहं को भैike ने भंग भंग किया, उसी रूप में यह चणct उसके जीवन जीवन आने वाले किसी भी प्रकार के कष्ट, बाधा, अड़चन, गुप्त योजना, व्यापारिक बाधा, जुआ-शoto। जुआ शwoord, आदि विकारों से निवृतcters इस महcters यह चण्ड शक्ति एक प्रकार की ऐसी शक्ति है, जो साधक को सात्विकता प्रदान करती है, उसके शत्रु चाहे वे किसी भी रूप में हो, चाहे वे शारीरिक, मानसिक, लौकिक, परालौकिक हो, उन सभी का शोधन होता है, जिससे साधक के व्यक्तित्व में प्रखike, उच्चता, दिव्यता की सुगंध का प्रवाह व्याप्त होता है।।।।।।।।
बटुक भैरव सिद्धि दिवस के इस दिव्य अवसर पर प्रत्येक साधक-साधिका को इस दुर्लभ दीक्षा को ग्रहण कike चाहिये।। Hoe u uw geld kunt verdienen शक्तिपात दीक्षा का तात्पर्य ही यही है कि निरन्तर शक्तिपात के माध्यम से स्वयं में शक्ति युक्त ऊर्जा शक्ति आपूरित रहें और जीवन की जो भी विषमताये है, उससे संघर्ष कर विजय प्राप्त करते हुये, जीवन को प्रगतिशील बनाये रखने में सफल होते रहे।
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