योग पूर्व जन्म के किसी अक्षम्य अपराध का सूचक है। जिसके कारण मन में चंचलता, मृत्यु भय व नकारात्मक विचारों से घिरा होना, संतान से कष्ट, संतान का ना होना, व्यवसाय सांप व सीढ़ी के खेल के भांति भी उत्तम तो कभी नष्ट होने के कगार पर, धन अभाव, रोग व अल्पायु आदि स्थितियां योग के कारण निर्मित होती हैं और जातक को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ काल सर्प योग की दशा में जन्म कुण्डली में स्थित शुभ योगों का फल भी प्राप्त नहीं होता है। दशा में राज योग का फल भी नष्ट हो जाता है।
सभी कुस्थितियों के निवारण हेतु नाग पंचमी दिवस पर कालसर्प दोष निवारण कवच धारण करने से साधक इन दोषों के कुप्रभाव से सुरक्षित हो जाता है साथ ही इनके द्वारा हानि की संभावना न्यूनतम स्थिति में आ जाती है। जिसके फलस्वरूप साधक जीवन में निरन्तर उन्नति पथ पर अग्रसर बना रहता है और उसे किसी भी तरह कि शारीरिक-मानसिक, पारिवारिक पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, आरोग्यता, दीर्घायु जीवन, संतान सुख की कामना पूर्ण होती है।
दोष निवारण कवच
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